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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2726
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 शिक्षाशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

सन् 1859 में गर्वनर जनरल स्टैनले ने अपने विवरण पत्र में प्राथमिक शिक्षा में व्यापक सुधार करने के लिए महत्वपूर्ण सुझाव प्रस्तुत किये।

भारतीय शिक्षा के इतिहास में रुचि रखने वाले लार्ड हेलीफैक्स और लार्ड लारेंस ने 1878 ई. में भारत की शिक्षा की सामान्य समिति का गठन करके सरकार की नीति की कटु आलोचना की।

सन् 1880 ई. में लार्ड रिपन को भारत का गर्वनर जनरल नियुक्त किया।

1854 के उपरान्त होने वाली शिक्षा की प्रगति का आकलन करने के लिए 'भारतीय शिक्षा आयोग गठित किया गया।

इस आयोग का गठन सन् 1882 ई. में हुआ।

इस आयोग के अध्यक्ष गर्वनर जनरल की कार्यकारिणी के सदस्य सर विलियम हण्टर को बनाया गया। भारतीय शिक्षा आयोग को हण्टर के नाम से जाना जाता है।

इस आयोग में 20 सदस्य थे जिनमें सात भारतीय सदस्य थे।

इस आयोग के सचिव बी. एल. राइस थे।

हण्टर आयोग ने सम्पूर्ण भारत का भ्रमण कर महत्वपूर्ण तथ्य एवं सूचनाएँ एकत्र की।

मिशनरियों ने इग्लैण्ड में "जनरल काउसिंल ऑफ एजूकेशन इन इण्डिया" नामक एक संगठन बनाया।

इस समिति ने लार्ड रिपन के समक्ष शिक्षा की जाँच की प्रार्थना की।

आयोग ने इसकी जाँच के लिए हण्टर आयोग की स्थापना 1882 ई. में की।

आयोग ने प्राथमिक शिक्षा की नीति संगठन, आर्थिक व्यवस्था, पाठ्यक्रम और शिक्षकों का प्रशिक्षण आदि पक्षों पर अपनी सिफारिशें प्रस्तुत की।

आयोग ने भारत की पिछडी तथा आदिवासी जातियों में उदार आर्थिक सहायता द्वारा प्राथमिक शिक्षा की प्रोत्साहित किया।

आयोग ने यह सुझाव दिया कि सरकार प्राथमिक शिक्षा के संगठन का कार्य नगर पालिकाओं और जिला परिषदों को सौंप दे।

आयोग ने व्यवहारिक तथा जीवनोपयोगी विषय जैसे कृषि, बहीखाता, क्षेत्रमिति, सरल विज्ञान आदि को पाठ्यक्रम में सम्मिलित किया।

आयोग ने माध्यमिक शिक्षा का भार योग्य एवं कुशल भारतीयों को सौंपा दिया।

आयोग ने शिक्षकों के प्रशिक्षण पर बल दिया।

आयोग ने कहा कि उच्च शिक्षा का दायित्व सरकार को व्यक्तिगत रूप से नागरिकों पर छोड़ देना चाहिए।

आयोग कहा कि गैर-सरकारी महाविद्यालयों को अनुदान देते समय शिक्षकों की संख्या, कॉलेजों का व्यय, उनकी कार्यक्षमता तथा आवश्यकताओं को ध्यान में रखा जाए।

योग्य विद्यार्थी को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए छात्रवृत्तियाँ देकर विदेश भेजा जाए।

विद्यार्थियों को नैतिक विकास किया जाए।

नैतिक विकास के लिए विशेष पाठ्य-पुस्तकें लिखी जाए।

गैर सरकारी स्कूलों में धार्मिक शिक्षा भी दी जाए।

आयोग ने प्रारम्भिक शिक्षा के लिए स्कूल तथा जिलों में स्कूल परिषदों की स्थापना की जाए।

स्वायत्तशासी संस्थाएँ अपनी स्थानीय विशेषताओं को ध्यान में रखकर प्राथमिक शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता के नियम बनाए।

जो विद्यालय / संस्थाएँ सरकार से आर्थिक सहायता प्राप्त करती हैं, उनकी व्यवस्था का पूर्ण अधिकार स्कूल परिषदों का होगा।

स्कूल कर्मचारियों की पदोन्नति, पदावनति, पदच्युत या अपसरण करने का अधिकार स्कूल परिषदों का होगा।

आयोग ने कहा कि स्कूल परिषद को अपने अधीन क्षेत्र के समस्त स्कूलों का अभिलेख रखना चाहिए। चाहे वे सरकारी / सहायता / प्राप्त स्वतन्त्र हों।

स्कूल परिषद का कार्य है कि वह स्कूलों के लिए नये भवन बनवायें और पुराने भवनों की मरम्मत का प्रबन्ध करे।

आयोग ने प्राथमिक विद्यालयों के आन्तरिक प्रशासन के अन्तर्गत पाठ्यक्रम, पाठ्य-पुस्तकें परीक्षा, शिक्षा का माध्यम पर संस्तुतियाँ प्रस्तुत कीं।

प्राथमिक स्तर पर व्यावहारिक अंकगणित की भारतीय विधियाँ तथा बहीखाता आदि व्यवहारिक विषय प्रारम्भ होने चाहिए।

वर्ष के सत्र और घण्टों के सम्बन्ध में प्रायः लचीलापन स्वीकार किया जाना चाहिए।

प्राथमिक शिक्षा का शिक्षण मातृभाषा में होना चाहिए। परीक्षाएँ यथासम्भव विद्यालय निरीक्षकों द्वारा ली जानी चाहिए।

आयोग ने शिक्षक प्रशिक्षण पर बल दिया।

आयोग ने कहा कि शिक्षण स्तर में गुणात्मक सुधार के लिए प्रशिक्षण आवश्यक है।

राजकीय या सहायता प्राप्त समस्त प्राथमिक विद्यालयों को स्थानीय आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए प्रत्येक निरीक्षक के अधीन में अवस्थापित होना चाहिए।

आयोग ने कहा कि शिक्षा वित्त के लिए कोष तैयार होना चाहिए।

स्थानीय कोष को प्राथमिक शिक्षा के लिए उपयोगी होना चाहिए।

प्रान्तीय सरकारें स्थानीय कोष का 1/2 भाग या सम्पूर्ण व्यय का 1/3 भाग प्राथमिक शिक्षा के लिए स्थानीय निकाय को प्रदान करे।

आयोग ने देशी विद्यालय के लिए कहा है- देशी विद्यालयों से यह आशा की जाती है मान्यता एवं सहायता दिये जाने पर वे अपनी प्रणाली को सुधार लेंगे और राष्ट्रीय शिक्षा की राज्य प्रणाली में भी उपयोगी स्थान की पूर्ति करेंगे।

आयोग ने माध्यमिक शिक्षा के प्रसार के लिए सुझाव दिया था कि यदि किसी क्षेत्र में अंग्रेजी शिक्षा के लिए राज्य द्वारा माध्यमिक स्कूल की स्थापना आवश्यक प्रतीत हो तो वह सहायता अनुदान प्रणाली पर आधारित हो।

आयोग ने कहा कि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले मुसलमानों के लिए अंग्रेजी भाषा को उन्नत करने के लिए उदार आर्थिक सहायता प्रदान की जाय।

देशी मुस्लिम विद्यालयों को अपने पाठ्यक्रमों में पूर्णतः लौकिक विषयों को स्थान देने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।

आयोग ने अन्य पक्षों में मुस्लिम शिक्षा, स्त्री शिक्षा एवं पिछड़ी जाति की शिक्षा पर भी बल दिया। सार्वजनिक कोषों से बालकों तथा बालिकाओं के विद्यालय के लिए उचित अनुपात में धन व्यय किया जाए।

बालिकाओं का पाठ्यक्रम एवं पाठ्य-पुस्तकें बालकों से भिन्न हो। बालिकाओं को प्रायोगिक विषयों की शिक्षा दी जाए।

स्त्री शिक्षा के लिए निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की जाए बालिकाओं को छात्रवृत्ति भी दी जाए।

हरिजनों व पिछड़ी जातियों की शिक्षा व्यवस्था विद्यालयों में की जाए।

इन पिछड़ी जातियों के लिए एक विशेष प्रकार के विद्यालय की व्यवस्था की जाए।

हरिजनों से विद्यालय में किसी प्रकार का शुल्क न लिया जाए। मिशनरी स्कूलों और भारतीयों द्वारा चलाये जाने वाले स्कूलों में भेदभाव न किया जाए।

भारतीय शिक्षा आयोग या हण्टर कमीशन की सिफारिश के अनुसार प्राथमिक शिक्षा का भार स्थानीय संस्थाओं को दे दिया गया।

उच्च शिक्षा में पुस्तकीय ज्ञान और परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने पर अधिक बल देना ही उच्च शिक्षा - का विशेष दोष माना गया।

इस काल में इंजीनियरिंग, कानून, कृषि, कला, पशु चिकित्सा, वाणिज्य, कानून, वन विभाग, प्राविधिक एवं औद्योगिक शिक्षा की प्रगति हुई

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    अनुक्रम

  1. अध्याय - 1 वैदिक काल में शिक्षा
  2. महत्वपूर्ण तथ्य
  3. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  4. उत्तरमाला
  5. अध्याय - 2 बौद्ध काल में शिक्षा
  6. महत्वपूर्ण तथ्य
  7. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  8. उत्तरमाला
  9. अध्याय - 3 प्राचीन भारतीय शिक्षा प्रणाली पर यात्रियों का दृष्टिकोण
  10. महत्वपूर्ण तथ्य
  11. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  12. उत्तरमाला
  13. अध्याय - 4 मध्यकालीन शिक्षा
  14. महत्वपूर्ण तथ्य
  15. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  16. उत्तरमाला
  17. अध्याय - 5 उपनिवेश काल में शिक्षा
  18. महत्वपूर्ण तथ्य
  19. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  20. उत्तरमाल
  21. अध्याय - 6 मैकाले का विवरण पत्र - 1813-33 एवं प्राच्य-पाश्चात्य विवाद
  22. महत्वपूर्ण तथ्य
  23. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  24. उत्तरमाला
  25. अध्याय - 7 वुड का घोषणा पत्र - 1854
  26. महत्वपूर्ण तथ्य
  27. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  28. उत्तरमाला
  29. अध्याय - 8 हण्टर आयोग
  30. महत्वपूर्ण तथ्य
  31. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  32. उत्तरमाला
  33. अध्याय - 9 सैडलर आयोग
  34. महत्वपूर्ण तथ्य
  35. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  36. उत्तरमाला
  37. अध्याय - 10 वर्धा आयोग
  38. महत्वपूर्ण तथ्य
  39. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  40. उत्तरमाला
  41. अध्याय - 11 राधाकृष्णन आयोग
  42. महत्वपूर्ण तथ्य
  43. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  44. उत्तरमाला
  45. अध्याय - 12 मुदालियर आयोग
  46. महत्वपूर्ण तथ्य
  47. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  48. उत्तरमाला
  49. अध्याय - 13 कोठारी आयोग
  50. महत्वपूर्ण तथ्य
  51. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  52. उत्तरमाला
  53. अध्याय - 14 राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 1986 एवं 1992
  54. महत्वपूर्ण तथ्य
  55. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  56. उत्तरमाला
  57. अध्याय - 15 राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020
  58. महत्वपूर्ण तथ्य
  59. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  60. उत्तरमाला
  61. अध्याय - 16 पूर्व प्राथमिक शिक्षा की समस्यायें
  62. महत्वपूर्ण तथ्य
  63. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  64. उत्तरमाला
  65. अध्याय - 17 प्रारम्भिक एवं माध्यमिक शिक्षा की समस्यायें
  66. महत्वपूर्ण तथ्य
  67. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  68. उत्तरमाला
  69. अध्याय - 18 उच्च शिक्षा की समस्यायें
  70. महत्वपूर्ण तथ्य
  71. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  72. उत्तरमाला
  73. अध्याय - 19 भारतीय शिक्षा को प्रभावित करने वाले कारक
  74. महत्वपूर्ण तथ्य
  75. ऑब्जेक्टिव टाइप प्रश्न
  76. उत्तरमाला

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